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अगर ऐसा ही होता रहा तो उदयपुर में लोगों को पीने का पानी भी नहीं होगा नसीब..

locationउदयपुरPublished: Mar 23, 2019 11:52:13 am

Submitted by:

manvendra singh

पाताल में पहुंचा पानी

मानवेन्द्रसिंह राठौड़/उदयपुर . आमजन ने पानी के महत्व को नहीं समझा तो आगामी दिनों में झीलों की नगरी सहित जिले में खेती तो दूर, पेयजल तक मिलना मुश्किल हो जाएगा। हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं और भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। पानी की तलाश में धरती का सीना छलनी किया जा रहा है। पुनर्भरण के मुकाबले अधिक भूजल के दोहन के कारण पानी पाताल में चला गया है। शहर के आसपास झीलें नहीं होती तो अब तक स्थिति विकट हो गई होती। जिले में भूजल स्तर की बात करें तो यह 200 से 500 फीट तक की गहराई तक जा पहुंचा है, जो कभी 80 से 150 फीट हुआ करता था। अरावली की वादियों से घिरे इस जिले में बारिश की कमी और पानी की खोज में अंधाधुंध टयूबवैल, कुआं और हैंडपम्प खोदने से भूजल जवाब देने लगा है। भूजल वैज्ञानिकों के अनुसार बडग़ांव, मावली, भीण्डऱ, सायरा, झल्लारा, खेरवाड़ा, कोटड़ा, सेमारी, कुराबड़, ऋषभदेव, गिर्वा ब्लॉक में अति दोहन से भूजल स्तर में तेजी से गिरावट हो रही है। यदि जल्द ही नहीं संभले तो आगामी बरसों में पानी को लेकर स्थिति और बिगड़ सकती है। भूजल पुनर्भरण के मुकाबले अधिक दोहन हो रहा है जो चिंताजनक संकेत है।
कृषि भूमि पर बढ़ती आवासीय बस्तियां
शहर के आसपास आबादी विस्तार से कई बीघा कृषि भूमि को भूखंड काटकर आवासीय कॉलोनियां बसा दी गई हैं। जहां एक-दो कुओं से खेती होती थी, वहां कॉलोनी बसने से हर घर में ट्यूबवैल खोद दिए गए जिससे भूजल स्तर गिरता जा रहा है। गांवों में कृषि भूमि के बंटवारे से पानी की जरूरत होने पर नए कुएं खोदे और बोरिंग किए जा रहे हैं। इससे कई कुएं तक सूख गए हैं।
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ऐसे समझे क्यों उतरा पानी पाताल में
ट्रांसपोर्ट नगर के पास करीब 300 बीघा जमीन पर नवविकसित नाकोड़ा नगर प्रथम, द्वितीय, नाकोडा पुरम्, धाउजी की बावड़ी, सौभाग्यनगर, मीरां आश्रम और सेगराधूणी तक की कॉलोनियों में 3 हजार मकान बन चुके हैं और कई जगह निर्माण चल रहा है। वहां पर कभी 10 से 15 कुएं थे लेकिन अब जब 5 हजार ट्यूबवेल खुद गए जिससे पानी 500 फीट गहरा उतर गया। ऐसे ही हाल शहर से बाहर और जिले में बढ़ती आबादी से हुए हैं।
सिंचाई के लिए हो रहा है दोहन
भूजल स्तर गिरने के पीछे बड़ा कारण औद्योगिक इकाइयों, फिल्टर प्लांट, टैंकर से जल वितरण के लिए दिन-रात भूजल का दोहन है। सिंचाई के लिए भी लगातार कुओं व टयूबवेलों की खुदाई हो रही है।
वर्ष 2013 के बाद सभी ब्लॉक के भू-जल स्तर में गिरावट आ रही है। कहीं पर पुनर्भरण हो भी रहा है लेकिन मामूली बढ़ोतरी है। पानी का अतिदोहन होने से स्थिति बिगड़ रही है। आमजन पानी की अपव्यय रोकें। जिले के 6 ब्लॉक में स्थिति विकट है, सरकार को रिपोर्ट भेज रखी है। – शैलेन्द्र धारग्वे, वरिष्ठ भू-जल वैज्ञानिक उदयपुर
भूजल के आंकड़े (मीटर में)
ब्लॉक 2014 2016 2018
बडग़ांव 11.35 16.08 13.79
भीण्डर 13.61 15.47 13.35
गिर्वा 11 .00 12.79 11.78
गोगुंदा 12.65 12.83 11.24
झाडोल 11.51 11.01 10.32
झल्लारा 06.19 07.19 08.85
खेरवाड़ा 08.92 09.79 09.27
कोटड़ा 08.05 09.54 08.80
कुराबड़ 09.60 10.70 10.80
लसाडिय़ा 11.75 15.02 10.06
मावली 04.03 18.14 16.17
फलासिया 06.54 06.95 05.12
ऋषभदेव 06.86 09.17 08.63
सलूम्बर 07.22 08.06 07.22
सराड़ा 06.93 08.24 06.83
सायरा 11.59 10.84 10.69
सेमारी 05.76 08.17 07.67
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