खंडपीठ ग्वालियर द्वारा भिंड जिले के अटेर थाने में अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के मामले में आरोपियों के विरुद्ध गिरफ्तारी और अभियोग पत्र पेश करने की कार्यवाही में लापरवाही बरतने पर पीडि़त कल्याण सिंह की ओर से पेश की गई दो जनहित याचिकाओं का निराकरण करते हुए 11 जनवरी को न्यायाधीश शील नागू ने आदेश पारित करते हुए पुलिस अधीक्षक भिण्ड को आदेश दिया है कि वह फरार आरोपी हेमंत कटारे की गिरफ्तारी सुनिश्चित करें।
हेमंत कटारे के खिलाफ अटेर थाने में दर्ज अपराध क्रमांक 6 9/2017 में धारा 173,8 सीआरपीसी के तहत पिछले डेढ़ साल से जांच चल रही है। आदेश में एसपी से कहा गया है कि पीडि़त पक्ष को समुचित सुरक्षा और एट्रोसिटी एक्ट के तहत मिलने वाले अन्य लाभ दिलाए जाएं। इतना ही नहीं कार्यवाही 30 दिन में करने के निर्देश दिए हैं।
न्यायालय ने इस मामले में माना है कि पुलिस ने इस में कानून की गंभीर अवहेलना की है। जिसके लिए कोर्ट के द्वारा राज्य सरकार पर 10000 रुपए की कॉस्ट भी लगाई गई है। यह राशि पीडि़त को देने के लिए कहा गया है। जस्टिस शील नागू ने आदेश में स्पष्ट किया है कि सरकार चाहे तो कॉस्ट की राशि 10000 रुपए संबंधित दोषी पुलिस अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से वसूल कर सकती है। पुलिस अधीक्षक को आदेश पारित होने के उपरांत 12 फरवरी 2019 तक उनके न्यायालय में पालन प्रतिवेदन पेश करने का आदेश दिया है।
यह है मामला
अटेर क्षेत्र के खेरी गांव में कल्याण सिंह जाटव पुत्र ओछेलाल जाटव के साथ कुछ लोगों ने मारपीट कर दी थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अपराध क्रमांक 69/2017 दर्ज किया। वहीं इस घटना कुछ महीनों बाद फिर से भिंड शहर के देहात थाना क्षेत्र के अंतर्गत रेलवे स्टेशन के समीप पीडि़त कल्याण के साथ मारपीट की गई।
अटेर क्षेत्र के खेरी गांव में कल्याण सिंह जाटव पुत्र ओछेलाल जाटव के साथ कुछ लोगों ने मारपीट कर दी थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अपराध क्रमांक 69/2017 दर्ज किया। वहीं इस घटना कुछ महीनों बाद फिर से भिंड शहर के देहात थाना क्षेत्र के अंतर्गत रेलवे स्टेशन के समीप पीडि़त कल्याण के साथ मारपीट की गई।
इसके बाद देहात पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध किया। इसी मामले में तत्कालीन अटेर एसडीओपी इंद्रवीर सिंह भदौरिया ने जांच के दौरान हेमंत कटारे को भी आरोपी बना दिया था। इसी मामले में बाद में इसी मामले में अटेर एसडीओपी इंद्रवीर सिंह भदौरिया को राज्य शासन ने तत्काल रूप से हटा दिया था।