जानें ballpoint पेन का आविष्कार कब, क्यों और कैसे हुआ?

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पूरी दुनिया में प्रत्येक दिन लाखों लोगों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले ballpoint पेन का इतिहास लगभग आठ दशक पुराना है। इस पेन का आविष्कार 1931 में लेडिस्लाओ जोस बिरो द्वारा किया गया था, जिनके नाम पर इस पेन को “बिरो पेन” के नाम से जाना जाता है|

Jagranjosh
Sep 29, 2016, 14:54 IST

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पूरी दुनिया में प्रत्येक दिन लाखों लोगों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले ballpoint पेन का इतिहास लगभग आठ दशक पुराना है। इस पेन का आविष्कार 1931में लेडिस्लाओ जोस बिरो (Ladislao José Bíro) द्वारा किया गया था, जिनके नाम पर इस पेन को “बिरो पेन” के नाम से जाना जाता है| लेडिस्लाओ जोस बिरो का जन्म 1899 में हंगरी के बुडापेस्ट शहर में एक यहूदी परिवार में हुआ था औए वे पेशे से पत्रकार, चित्रकार और आविष्कारक थे| बाद में उन्होंने अपना नाम “लाजियो जोसेफ बिरो” रख लिया था और वे इसी नाम से प्रसिद्ध हुए|

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आइए जानें कि ballpoint पेन का आविष्कार कैसे हुआ था और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इसकी क्या भूमिका रही थी?

बिरो पेन का आविष्कार कैसे हुआ था?

जोस बिरो,फाउंटेन पेन से लिखते समय होने वाले धब्बों से बहुत परेशान थे अतः उनके मन में एक ऐसा पेन बनाने का विचार आया जिसकी स्याही जल्दी सूख जाती हो और लिखने पर धब्बे भी न पड़ें| हंगरी में पत्रकार के रूप कार्य करते समय उन्होंने देखा कि अखबारों की छपाई में जिस स्याही का प्रयोग किया जाता था वह जल्दी सूखती थी एवं उससे कागज पर धब्बे नहीं पड़ते थे| इसके लिए उन्होंने फाउंटेन पेन में जल्द सूखने वाले अखबारी स्याही का उपयोग किया था| लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं हुआ क्योंकि यह स्याही बहुत मोटी थी जिसे निब की नोक तक पहुंचने में बहुत समय लगता था|

(बॉल पेन की निब)

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अतः उन्होंने एक ballpoint निब का आविष्कार किया था जिस पर स्याही की एक पतली फिल्म लेपित की गयी थी और जब निब का कागज के साथ संपर्क होता था तो इसकी गेंद (ball of nib) घूमने लगती थी और कार्टेज से स्याही प्राप्त करती थी जिससे लिखने का काम होता था| वर्तमान समय में ballpoint पेन का निब सामान्यतः पीतल, स्टील या टंगस्टन कार्बाइड जैसे धातुओं से बनता है। जोस बिरो ने सही श्यानता  (चिपचिपाहट) वाली स्याही के लिए अपने भाई “जोर्जी बिरो” की मदद ली थी जिनकी दवा की दुकान थी| इस जोड़ी ने 15 जुलाई 1938 को इस पेन को “बिरो” नाम से पेटेंट करवाया था| अभी भी ब्रिटेन, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और इटली जैसे देशों में इस कलम को “बिरो” पेन ही कहा जाता है, जबकि अमेरिका में इसे ballpoint पेन के नाम से जाना जाता है।

द्वितीय विश्वयुद्ध में यह किस प्रकार काम आया था?

1940 में हंगरी पर नाजियों के कब्जे के कारण जोस बिरो को देश छोड़ना पड़ा और वे अर्जेंटीना चले गए, जहाँ उन्होंने बिरो पेन को वाणिज्यिक उत्पाद के रूप में प्रचारित किया| “बायोग्राफिकल डिक्शनरी ऑफ द हिस्ट्री ऑफ टेक्नोलॉजी” के अनुसार इस पेन के पहले निर्माता ब्रिटिश एकाउंटेंट हेनरी जॉर्ज मार्टिन थे| इस पेन का सबसे पहला खरीदार ब्रिटेन का रॉयल एयर फोर्स था द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इस संगठन ने 30,000 बिरो पेन के आर्डर दिए थे क्योंकि यह पेन पारंपरिक फाउंटेन पेन के विपरीत अधिक ऊंचाई पर आसानी से काम करता था|

(लेडिस्लाओ जोस बिरो द्वारा बनाया गया पहला पेन)

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आज बीआईसी क्रिस्टल बिरो दुनिया का सबसे लोकप्रिय पेन है। ज्ञातव्य हो कि अमेरिका में मुद्रास्फीति के बावजूद बिरो पेन की कीमत 1959 के बाद से स्थिर है और एक पेन की कीमत 19 सेंट है|

(आजकल बाजार में BIC  पेन की विभिन्न किस्मे मौजूद हैं)

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