समर्थन मूल्य पर मूंग खरीद का आंकड़़ा साढ़े चार करोड़ से ज्यादा पार करने के बाद भी खरीद की प्रक्रिया से किसान खासे असंतुष्ट हैं। पंद्रह से बीस दिनों में अब तक महज ३६८ किसानों से ही मूंग खरीद हो पाई है। अभी भी चार हजार से ज्यादा काश्तकारों से खरीद होनी है। इस संबंध में समिति के अधिकारियों का कहना है कि वेयरहाउस में २५७८ मूंग के कट्टे जमा हो चुके हैं, और १०६२७ मूंग के कट्टो को और जमा कराना है। खरीद की धीमी प्रक्रिया को अधिकारी सिरे से खारिज करते हुए बताया कि यथासमय सूची में शामिल किसानों से खरीद का काम पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन किसानों का मानना है कि खरीद प्रक्रिया में और तेजी आनी चाहिए।
तो किसानों को मिलता तुरन्त भुगतान
समर्थन मूल्य खरीद पर मंडी में आए किसानों का कहना है कि सरकारी खरीद में उनको राशि तो खुली नीलामी से ज्यादा मिल रही है, लेकिन भुगतान तुरन्त नहीं होता है। खरीद की प्रक्रिया भी सुव्यवस्थित होती तो फिर कुछ हद तक राहत मिलती है, मगर सरकारी प्रक्रिया की गति एवं मकडज़ाल के चलते किसानों को होने वाली परेशानी से अधिकारी बेखबर बने रहते हैं। इस संबंध में मंडी के व्यापारियों का कहना है कि वास्तव में सरकार किसानों को लाभ पहुंचाना चाहती तो फिर इसमें व्यापारियों को भी शामिल करती। व्यापारी समर्थन मूल्य खरीद प्रक्रिया में शामिल होते तो फिर किसानों को न तो बेचान का इंतजार करना पड़ता, और न ही खरीद के अभाव में उन्हें फिर से मूंगलदे अनाज को लेकर वापस जाना पड़ता। गत वर्षों में हुई खरीद प्रक्रिया के दौरान किसानों के साथ यह कई बार हो चुका है। व्यापारी भी समर्थन मूल्य प्रक्रिया में शामिल किए गए होते तो फिर मंडी को भी राजस्व का खासा लाभ मिलता।
इनका कहना है…
समर्थन मूल्य पर काश्तकारों से मूंग की खरीद नियमानुसार की जा रही है। कोई समस्या होने पर उसका समाधान भी उनको बताया जा रहा है।
रामनिवास सिंवर, खरीद केन्द्र प्रभारी, क्रय विक्रय सहकारी समिति नागौर
समर्थन मूल्य की सरकारी खरीद प्रक्रिया में व्यापारियों को भी शामिल करना चाहिए था। व्यापारी शामिल होते तो फिर गोदाम व परिवहन के राजस्व बचत के साथ ही किसानों को भी तुरन्त भुगतान मिल जाता।
नितिन मित्तल, सचिव, कृषि उपजमंडी व्यापार मण्डल नागौर.Nagaur patrika latest news