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उदयपुर में ये तो हद ही हो गई, फर्जी हथियार लाइसेंस के लिए लोग कश्मीरी बन गए

उदयपुर . अधिकतर लाइसेंसी को जम्मू-कश्मीर का अस्थायी निवासी बताया जबकि इनमें से एक का भी वहां ठिकाना नहीं है.

उदयपुरSep 14, 2017 / 11:05 am

Mohammed illiyas

udaipur: 13 licenses and 20 weapons seized from 13 businessman
उदयपुर . अवैध हथियार सप्लाई करने वाले अजमेर के आम्र्स एंड एम्युनेशन डीलर वली मोहम्मद एंड संस की एसओजी जांच में नित्य नए फर्जीवाड़े की परतें खुल रही हैं। इस फर्म ने राज्य के कई रसूखदारों व आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों से लाखों रुपए लेकर फर्जी कागजों से हथियार के लाइसेंस बनाए, जिनमें अधिकतर लाइसेंसी को जम्मू-कश्मीर का अस्थायी निवासी बताया जबकि इनमें से एक का भी वहां ठिकाना नहीं है और उस क्षेत्र को पहचानते तक नहीं हैं। एसओजी टीम ने फर्म मालिक के ठिकानों पर मिली मुहर के आधार पर कुछ लाइसेंस यहीं पर फर्जी बनाने से भी इनकार नहीं किया है।

प्रदेश में अब तक 75 रसूखदारों द्वारा फर्जी लाइसेंस के जरिए अवैध रूप से हथियार खरीदने का खुलासा हुआ है। एसओजी टीम ने इन सभी को नोटिस भेजकर जयपुर में तलब किया है। गौरतलब है कि एसओजी टीम ने फर्जी लाइसेंस से अवैध हथियार कारोबार का भंडाफोड करते हुए पंजाब के अबोहर के हथियार डीलर विशाल आहूजा, अजमेर के जुबेर सहित कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था।
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एसओजी के अधिकारियों ने बताया कि अजमेर की फर्म ने हथियार निर्माण के लिए कुछ समय पूर्व नामी कंपनी की विदेश से कम्प्यूराइज्ड मशीन मंगवाई थी। इस मशीन से विदेशी हथियार की हूबहू नकल करते हुए कई हथियार बनाए। इन हथियारों पर उसने विदेशी निर्मित का मार्का लगाकर महंगे दामों में बेचने की भी जानकारी मिली है। जानकार बताते है कि विदेशी हथियार दिखने में खूबसूरत होने के साथ ही वह चलने में अच्छा होता है। तीन लाख रुपए की कीमत से इसकी शुरुआत होती है जबकि भारत निर्मित हथियार 70 से 80 हजार में आसानी से मिल जाता है।
नोटिस मिलते ही मची खलबली

एसओजी का नोटिस आते ही हथियार खरीदारों में खलबली मच गई। उदयपुर से नामजद 13 आरोपितों को भी जयपुर मुख्यालय तलब किया गया है। हालांकि एसओजी ने उनके नामों का खुलासा नहीं किया लेकिन इनमें से एक मॉल मालिक, एक ट्रेवल्स एजेंसी मालिक के अलावा अधिकतर मार्बल उद्यमी, बड़े कारोबारी तथा भू-व्यवसायी शामिल हैं। राज्य में अन्य जगहों में कुछ आपराधिक लोगों के पास भी लाइसेंस की जानकारी मिली है। एसओजी ने सभी के लाइसेंस व हथियार को जब्त कर लिया लेकिन अब जयपुर में तलब से उनमें खलबली मच गई है। इन्हें डर है कि एसओजी उन्हें वहां बुलाकर गिरफ्तार नहीं कर ले। इन आरोपितों ने 3 से 10 लाख के बीच में हथियार व लाइसेंस खरीदना स्वीकार किया है। इनका कहना है कि वली मोहम्मद एंड संस ने उन्हें भविष्य में लाइसेंस उनके राज्य में स्थानांतरित होने का झांसा दिया था।
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नियम कायदे ताक में, कोई सत्यापन नहीं

श्रीगंगानगर हथियार कांड के बाद राज्य में हथियार लाइसेंस की प्रक्रिया काफी जटिल हो गई। आवेदन करते ही सबसे पहले पुलिस सत्यापन होता है। राज्य में तो थाना पुलिस के अलावा प्रशासनिक व सीआईडी स्तर के अधिकारियों से भी जांच कर रिपोर्ट ली जाती है लेकिन जम्मू कश्मीर से बने इन लाइसेंसों को किसी तरह से पुलिस सत्यापन नहीं करवाया गया। लाइसेंस में आरोपितों को अस्थाई रूप से जम्मू कश्मीर व राजस्थान का मूल निवासी बताने के बावजूद राज्य पुलिस को इसकी सूचना भी नहीं दी गई, न ही लाइसेंसी ने स्थानीय पुलिस को हथियार के बारे में बताया।
इस बीच राज्य में चुनाव व ऐसे कई मौके आए जब समस्त लाइसेंसी के हथियार थानों में जमा हुए लेकिन फर्जी लाइसेंस बनाने वालों ने इन्हें अपने पास ही रखे। इन लाइसेंस की जांच के लिए शीघ्र ही एएसपी रानू शर्मा व जयपुर की टीम जम्मू-कश्मीर जाएगी।
एसओजी अधिकारियों का कहना है कि पुलिस सत्यापन के अलावा लाइसेंस में चिकित्सकीय व दक्षता प्रमाण पत्र भी अनिवार्य होता है, ये प्रमाण पत्र किसके लगाए गए, यह भी जांच का विषय है।

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