भारतीय सेना के शीर्ष कमांडर ने पुष्ट किया है कि पाकिस्तान फिर से बड़ी संख्या में कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ कराने की तैयारी में है। पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजंसी आइएसआइ की मदद से आए दिन सीमा पार से आतंकी भारत में घुसपैठ का प्रयास करते और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाते हैं। हालांकि सुरक्षा बलों और सेना ने कई बार घुसपैठ को नाकाम किया है, फिर भी मौके का फायदा उठा कर घुसपैठिए कामयाब हो जाते हैं। पठानकोट, उड़ी और सुंजवान जैसे सैनिक ठिकानों और श्रीनगर के एक अस्पताल पर हमला कर आतंकियों को छुड़ाने, थानों सहित कई रिहाइशी इलाकों में हमले जैसी घटनाओं को पाकिस्तान से आए दहशतगर्दों ने ही अंजाम दिया था। भारतीय सेना को खुफिया जानकारी मिली है कि सीमा पार से बड़ी तादाद में आतंकी भारत में घुसने की तैयारी में हैं। हाल में संघर्ष विराम के उल्लंघन की तेजी से बढ़ती घटनाएं भी इस बात का प्रमाण हैं कि सीमा पार से आतंकियों को घुसाने की पूरी कोशिश हो रही है।

कश्मीर में जब बर्फबारी का मौसम होता है तो घुसपैठ की घटनाएं कम हो जाती हैं। पर जैसे ही बर्फ पिघलनी शुरू होती है, घुसपैठिए सक्रिय हो जाते हैं। हर साल यह होता है। मगर अभी सेना और सुरक्षा बलों की चिंता इसलिए बढ़ गई है कि इस बार बर्फ कम पड़ी है और घुसपैठ जल्दी शुरू हो जाएगी। नियंत्रण रेखा के पार लेपा घाटी से मंडाल इलाके तक में बड़ी संख्या में आतंकी ठिकाने हैं, जहां तीस से चालीस के समूहों में आतंकी घुसपैठ के लिए जमा हैं। इसलिए इन्हें रोकना सेना और सुरक्षा बलों के लिए गंभीर चुनौती है। पर अच्छी बात है कि सेना और सुरक्षा बलों को खतरे की सूचना पहले मिल गई और इस तरह उन्हें घुसपैठियों पर नजर रखने में आसानी होगी। लेकिन सेना के इस तरह चिंता प्रकट करने से एक बार यह सवाल जरूर उठा है कि क्या वह अभी घुसपैठियों को रोकने के पुख्ता इंतजाम नहीं कर पाई है। बीते डेढ़ साल में तीन सैन्य ठिकानों पर हुए बड़े आतंकी हमलों के बाद सीमा पर चौकसी बढ़ाने और अत्याधुनिक उपकरणों के उपयोग पर बल दिया गया। बजट में सुरक्षा खर्च भी बढ़ा दिया गया। इसके बावजूद अगर सेना के सामने चुनौतियां पेश आ रही हैं या सीमा पार से आतंकी उसे चकमा देकर घाटी के नागरिक और सैन्य ठिकानों में घुसपैठ में कामयाब हो पा रहे हैं तो इस दिशा में निस्संदेह गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए।

पाकिस्तान की तरफ से होने वाले संघर्ष विराम के उल्लंघन और घुसपैठ की वजहें और तरीके जाहिर हैं। भले पाकिस्तान इस बात को झुठलाने की कोशिश करता रहा हो कि उसके यहां आतंकी प्रशिक्षण शिविर नहीं चलते, पर उनके बारे में अनगिनत सबूत उपलब्ध हैं। वह सार्क घोषणापत्र में इस बात के लिए वचनबद्ध है कि अपनी सरजमीं का इस्तेमाल किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं होने देगा। मगर उसने शुरू से लेकर अब तक कभी इसका पालन नहीं किया। फिर जब से उड़ी हमले के बाद भारत ने उसे पड़ोसी देशों और विश्व समुदाय से अलग-थलग करने की कोशिश शुरू की है, उसकी बौखलाहट बढ़ गई है। इसलिए भी वह लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन और आतंकी घुसपैठ कराने का प्रयास करता है। ऐसे में सैन्य चौकसी के जरिए ही इस पर काबू पाया जा सकता है।