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कुन्हाड़ी के हाउसिंग बोर्ड निवासी वेदप्रकाश बैरवा का 14 वर्षीय बेटा घर के पास ही स्थित पार्क में डेरा जमा कर बैठे रहने वाले लड़कों के बहकावे में आ गया। अपने से दुगनी उम्र के लड़कों के कहने पर पढ़ाई लिखाई छोड़ बॉडी बिल्डिंग के शौक में फंस गया। इसकी भनक जब पिता को लगी तो उन्होंने समझाने की कोशिश की, लेकिन नहीं माना तो एक जून को मां ने पहले तो डांटा। बात अनसुनी होती देख उन्होंने दो थप्पड़ भी जड़ दिए। बस उसी दिन किशोर नाराज हो घर से कहीं चला गया। BIG News: चालान से बचने के लिए बाइक सवार ने ट्रैफिक कांस्टेबल को मारी जोरदार टक्कर, हाथ तोड़ हुए फरार
बैरवा ने बताया कि घर छोड़ते समय किशोर के पास मोबाइल और 200 रुपए ही थे, लेकिन वह सीधा जंक्शन पहुंचा और वहां खड़ी दूरंतो में बैठ कर मथुरा पहुंच गया। उसके बाद आगरा, ग्वालियर, मथुरा और दिल्ली में भटकने के बाद ट्रेन से ही सहारनपुर जा पहुंचा। वहां से कुछ लोग उसे खाने-पीने का लालच देकर अपने साथ पहले जम्मू और फिर करगिल ले गए। पाकिस्तान की सीमा के बिल्कुल नजदीक पहुंच चुके इस किशोर पर सेना के कुछ लोगों की नजर पड़ गई, लेकिन किशोर ने उनसे घर छोडऩे की जानकारी छिपा ली। हालांकि उन्होंने इसकी हालत देख द्रास सेक्टर में काम और खाने का सामान दे दिया।
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नयापुरा थाने के एसआई मोहनलाल ने बताया कि किशोर के मोबाइल में सिर्फ इनकमिंग की सुविधा थी। प्री पेड होने से जम्मू-कश्मीर पहुंचकर यह नंबर भी बंद हो गया। जब कॉल डिटेल निकलवाई तो इसके पूरे रूट की जानकारी मिली। कई दिनों की पड़ताल के बाद जब किशोर के कगरिल पहुंचने की जानकारी पुख्ता हो गई तो द्रास थाना पुलिस से संपर्क किया तो पता चला कि सेना में कार्यरत लोगों ने इसी चेहरे मोहरे के एक किशोर की जानकारी दी थी। द्रास पुलिस ने उसे पकड़ा तो कोटा से लापता किशोर ही निकला।
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उपाधीक्षक भगवत सिंह हिंगड़ ने बताया कि एसआई मोहनलाल, कांस्टेबल प्रधान और धर्मेंद्र की टीम बुधवार सुबह किशोर को लेकर कोटा लौट आई। पुलिस टीम के साथ गए किशोर के पिता ने बताया कि जब श्रीनगर पहुंचे तो वहां पत्थरबाजी हो रही थी। जिसमें सभी लोग फंस गए। वहां के लोगों ने वापस लौटने के लिए कहा, लेकिन एसआई मोहनलाल ने बच्चे को लिए बिना वापस लौटने से साफ मना कर दिया। जैसे-तैसे पत्थरबाजों के बीच से बच कर निकले और द्रास थाने पहुंचे और बेटे को लेकर वापस कोटा आ गए।