सिंचाई विभाग के सूत्रों के अनुसार उदयपुर जिले में करीब 164 छोटे-बड़े तालाब, झीलें, एनीकट आदि है जिनमें से 103 पंचायतों के अधीन हैं। 3 नगर निगम और नगर विकास प्रन्यास के अधीन और 58 सिंचाई विभाग के अधीन हैं। इन 58 तालाबों और बांधों के रखरखाव के लिए प्रति वर्ष 15 से 20 लाख रुपए की आवश्यकता होती है। मगर सरकारी खजाने से मात्र 5 से 6 लाख रुपए ही आते हैं। ऐसे में झीलों और पानी को सहेजने के लिए सरकार कितनी गंभीर है, यह आसानी से समझा जा सकता है।
रखरखाव में प्रकृति का सहयोग
जिले में अधिकतर जलस्रोत प्राकृतिक परिवेश में बने हुए हैं जिससे कई जगह प्राकृतिक रूप से ही इनका संरक्षण हो रहा है। ऐसे में इनके रखरखाव को लेकर ज्यादा पूंजी की आवश्यकता नहीं पड़ती। मगर अभी सरकार से मिल रही राशि काफी कम है।
रिव्यू पैनल ने दिए थे सुझाव गत फरवरी में डेम सेफ्टी रिव्यू पैनल की टीम उदयपुर आई थी। उसने उदयपुर और जोधपुर के करीब 23 झीलें और बांध देखे थे। साथ ही इनके रखरखाव को लेकर विशेष निर्देश दिए थे। जलाशयों को भरने वाले स्रोतों के साथ ही इनकी निकासी और भराव क्षमता आदि को लेकर कई निर्देश दिए गए थे।
यह है प्रमुख जलाशय झील भराव क्षमता उपयोगी
जयसमंद 14650 10464
फतहसागर 427 247
स्वरूपसागर 483 318
गोवर्धन सागर 9 9
देवास प्रथम 126 121
उदयसागर 1100 975
देवास द्वितीय 85.44 81.44
नांदेश्वर 140 125 झील भराव क्षमता उपयोगी
बारापाल 23.20 20.50
वल्लभनगर 1076 1016
झाड़ोल 88 88
आकोदड़ा 302 283.11
सुखेर का नाका 127 106
बड़ी 370 250
मदार बड़ा 84 78
मदार छोटा 30 27
जिले में कई ऐतिहासिक जलस्रोत हैं। इनमें विश्व प्रसिद्ध जयसमंद झील के साथ ही पिछोला, फतहसागर, वर्धनसागर, उदयसागर आदि प्रमुख हैं। झीलों के ऐतिहासिक एवं पेयजल की दृष्टि से महत्व को देखते हुए रखरखाव पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।