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बांसवाड़ा

कुवैत में रोजगाररत युवाओं के दिल में जगी गो सेवा की लौ, अब 80 लाख रुपए की लागत से बनवाएंगे गो-शाला

मैराथन प्रयासों के बाद अस्थायी गोशाला बनी, अब स्थायी गोशाला की तरफ बढ़े कदम

बांसवाड़ाJul 15, 2019 / 03:42 pm

Varun Bhatt

banswara

कुवैत में रोजगाररत युवाओं के दिल में जगी गो सेवा की लौ, अब 80 लाख रुपए की लागत से बनवाएंगे गो-शाला

अशोक स्वर्णकार. परतापुर/बांसवाड़ा. भारतीय संस्कृति में गाय का दर्जा माता का है, लेकिन इसके बाद भी गायें उपेक्षा की शिकार हैं और उन्हें तरह तरह के कष्ट से घिरा देखा जा सकता है। गो माता के कष्ट हरने की सात समंदर पार से पहल हुई है। शुरुआत परतापुर में अस्थायी गोशाला में अस्सी गायों की देखभाल से हुई है। गो रक्षक कमाण्डो तैयार हो गए हैं जो संकटग्रस्त, बीमार गायों की देखभाल के लिए 24 घंटे तत्पर हैं और अब अस्सी लाख की लागत से एक गोशाला तैयार करने का सपना संजोकर उस दिशा में कदम बढ़ाए हैं। परतापुर और आस पास के इलाके के कई युवा खाड़ी देश कुवैत रोजगाररत हैं। इन्ही युवाओं के मन में गो माता देखभाल का विचार आया। बैठकों के दौर चले। शुरुआत में लोगों ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई और सहयोग नहीं मिला, लेकिन ये युवा अपने संकल्प से पीछे नहीं हटे और अपने मिशन में लगे रहे। इसका नतीजा यह हुआ कि अस्थायी गो शाला शुरू भी हो गई। इस मिशन से परतापुर के कई और युवा जुड़ गए हैं।
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गो माता का दर्द देख दुखी हो जाते
खाड़ी देश कुवैत में रोजगाररत दीपेन्द्र टेलर ने बताया कि कस्बे के युवा जब भी परतापुर आते तो गो-माता की हालत देखकर बड़ा दु:ख होता। गो माता की सुरक्षा एवं उनकी देखरेख को लेकर कुछ युवाओं ने आगे बढकऱ कुवैत में रोजगाररत सर्व समाजजनों(परतापुर निवासियों)की 12 सितम्बर 2016 को बैठक कर गो-शालानिर्माण का प्रस्ताव रखा। इस पर तीन बैठकें हुई लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई। इसके बाद छट्टियों में परतापुर आने पर अपने स्थानीय अन्य साथियों से गो-शाला को लेकर चर्चा की। 24 दिसम्बर2016 को चार खंबा स्थित शीतला माता मंदिर परिसर में सर्व समाजजनों की बैठक भी की गई। लेकिन तब भी बात नहीं बनी। इस तरह एक साल और निकल गया लेकिन कुछ नहीं हो पाया।
अस्थाई गो-शाला
फिलहाल धर्मशाला परिसर में अस्थाई गो-शाला बनाई गई है, जिसमें करीब 80 गो-माता एवं बछड़ों को रखा गया है। पानी, घास आदि का प्रबंध किया गया है। हर माह ग्यारस के दिन गोरक्षक कमाण्डो गांव में निकलते हंै, जहां लोगों से गो-माता के लिए गेंहू,आटा आदि एकत्र करते हैं। वहीं जन्मदिन, पुण्यतिथि, शादी सालगिरह सहित अन्य अवसरों पर भी ग्रामीणों द्वारा गो-ग्रास करवाया जा रहा है।
24 घंटे तैयार रहते है गो रक्षक कमाण्डो
गोरक्षक कमाण्डों गो माता की सेवा के लिए 24 घंटे तैयार रहते है। किसी भी समय गो माता के बीमार होने, प्रसव एवं दुर्घटना में घायल होने की जानकारी मिलते ही कई गो रक्षक मौके पर तत्काल पहुंच जाते हैं। इसके बाद गोमाता को गो-शाला लाकर सेवा करते है।
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गोसंत रघुवीरदास महाराज की प्रेरणा ली
गो-शाला को लेकर युवाओं ने संत रघुवीरदास महाराज से चर्चा की और बात आगे बढ़ी। उनकी प्रेरणा से 25 मार्च 2018 को युवाओं ने स्थानीय गणेश मंदिर से एक गो-माता के साथ विशाल शोभायात्रा निकाली। जो कस्बे के भ्रमण के बाद गो-शाला की प्रस्तावित भूमि पहुंचकर सम्पन्न हुई जहां गो-माता का मंत्रोच्चार के साथ पूजन कर सुरक्षा का संकल्प लिया गया। गो-शाला निर्माण निमित्त यहां जनवरी 2019 में सात दिवसीय गो-भागवत कथा का आयोजन भी किया गया। बात आगे बढ़ी तो करीब 80 लाख की लागत की गो शाला तैयार करने का प्रस्ताव बना।
भूमि पूजन के साथ गो- गृह का हुआ निर्माण
19अप्रेल 2019 को गो-शाला का भूमि पूजन एवं शिला स्थापना की गई। इसके अलावा अंतर्मना मुनि प्रसन्न सागर ससंघसान्निध्य में ग्वालियर निवासी भामाशाह गुरु भक्त वाय.पी. मित्तल एवं जैन समाज परतापुर की ओर से अंतर्मना गो गृह का निर्माण भी करवाया गया है।

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