गौरतलब है कि वर्ष 2010-11 के रेल बजट में डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना की घोषणा हुई थी। केंद्र व राज्य सरकार के साझे में बनने वाली यह देश की पहली परियोजना थी। 3 जून, 2011 को डूंगरपुर मे परियोजना का शिलान्यास हुआ था। प्रोजेक्ट को 2016 तक पूरा करना था, लेकिन प्रदेश में सरकार बदलते ही परियोजना की गति पहले मंद फिर ठप हो गई। राज्य सरकार की बेरूखी के कारण उत्तर पश्चिम रेलवे ने सरकार की ओर से जमीनों के मुआवजे की राशि का बजट जारी नहीं करने और इससे काम आगे नहीं बढ़ पाने के कारण बांसवाड़ा, डूंगरपुर और रतलाम जिलों में उप मुख्य अभियंता (निर्माण) कार्यालय बंद कर दिए।
इस परियोजना की घोषणा के बाद केंद्र सरकार ने दो बजट तक राशि जारी की, जिससे अर्थ वर्क व ब्रिज वर्क चले, लेकिन जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई और मुआवजा राशि जारी करने का जिम्मा राज्य सरकार पर था। सरकार बदलने के बाद दोनों महत्वपूर्ण कार्य अटक गए। इससे आवश्यक भूमि नहीं मिल पाई। रेलवे ने भी 75 फीसदी जमीन मिलने से पूर्व काम शुरू नहीं करने का फरमान जारी कर दिया। वर्ष 2013 में लागू नए भूमि अधिग्रहण कानून के चलते भी अधिग्रहण प्रक्रिया अटकी। साल-दर-साल देरी होने से एक अनुमान के अनुसार यह प्रोजेक्ट साढ़े चार हजार करोड़ से भी अधिक का हो गया है।
राज्य सरकार (Rajasthan Government) ने बीते दिनों नए सांसदों को केंद्र सरकार (Indian Government) से संबंधित लंबित मामलों की बुकलेट भेजी है, इसमें इस परियोजना का जिक्र तक नहीं है। इसकी जानकारी सांसद कनकमल कटारा ने बीते दिनों जिला मुख्यालय पर आयोजित एक समारोह में देते हुए कहा था कि इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।