जयपुर का इतिहास

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जयपुर वर्तमान राजस्थान राज्य की राजधानी और सबसे बड़ा नगर है 1947 ई. तक जयपुर नाम की एक देशी रियासत की राजधानी थी कछवाहा राजा जयसिंह द्वितीय का बसाया हुआ राजस्थान का ऐतिहासिक प्रसिद्ध नगर है इस नगर की स्थापना 1728 ई. में की थी और उन्हीं के नाम पर इसका यह नाम रखा गया गया स्वतंत्रता के बाद इस रियासत का विलय भारतीय गणराज्य में हो गया जयपुर सूखी झील के मैदान में बसा है जिसके तीन ओर की पहाड़ियों की चोटी पर पुराने क़िले हैं यह बड़ा सुनियोजित नगर है बाज़ार सब सीधी सड़कों के दोनों ओर हैं और इनके भवनों का निर्माण भी एक ही आकार-प्रकार का है नगर के चारों ओर चौड़ी और ऊँची दीवार है जिसमें सात द्वार हैं यहाँ के भवनों के निर्माण में गुलाबी रंग के पत्थरों का उपयोग किया गया है इसलिए इसे गुलाबी शहर भी कहते हैं जयपुर में अनेक दर्शनीय स्थल हैं जिनमें हवा महल जंतर-मंतर जल महल आमेर का क़िला और कुछ पुराने क़िले अधिक प्रसिद्ध हैं।

जयपुर का निर्माण कार्य 

एक रणनीतिक योजना के साथ 1727 में जयपुर शहर का निर्माण कार्य शुरू हो गया अगले चार वर्षो में मुख्य महल सडके और चौराहों का निर्माण किया गया जयपुर शहर को वास्तुकला के सिधान्तो को ध्यान रखते हुए बनाया गया ये शहर नौ खंडो में विभाजित हो गया जिसमे से दो खंडो का उपयोग नगरीय इमारते और महल बनाने के लिए किया गया और बाकि सात खंडो का उपयोग आम जनता के लिए रखा गया जयपुर नगर की सुरक्षा को देखते हुए इन सात दरवाजो पर बड़ी दुर्ग दीवारों का निर्माण किया गया |

जयपुर की जनसख्या 

19वी सदी में जयपुर शहर का विकास बहुत तेज गति से हुआ और 1900 ईस्वी में जयपुर की आबादी 160,000 थी जयपुर की 1947 में आबादी ढाई लाख थी जो आज 25 लाख से भी ज्यादा हो गयी है अब शहर के मार्गो को पक्का करने का कार्य शुरू हुआ और कई अस्पतालों का निर्माण हुआ उस समय जयपुर का मुख्य उद्योग संगमरमर और धातु निर्माण था |

जयपुर के पर्यटन स्थल 

राजस्थान पर्यटन की दृष्टि से पूरे विश्व में एक अलग स्थान रखता है लेकिन शानदार महलों ऊँची प्राचीर व दुर्गों वाला शहर जयपुर राजस्थान में पर्यटन का सर्वोच्च केंद्र है यह शहर चारों ओर से परकोटों दीवारों से घिरा है जिस में प्रवेश के लीये 7 दरवाज़े बने हुए हैं 1876 मैं प्रिंस आफ वेल्स के स्वागत में महाराजा सवाई मानसिंह ने इस शहर को गुलाबी रंग से रंगवा दिया था तभी से इस शहर का नाम गुलाबी नगरी पिंक सिटी पड़ गया यहाँ के प्रमुख भवनों में सिटी पैलेस 18वीं शताब्दी में बना जंतर-मंतर हवामहल रामबाग़ पैलेस और नाहरगढ़ क़िला शामिल हैं अन्य सार्वजनिक भवनों में एक संग्रहालय और एक पुस्तकालय शामिल है।

जयपुर की भाषा 

मुख्य भाषा राजस्थानी है हिन्दी अंग्रेज़ी व पंजाबी भाषा भी काफ़ी बोली जाती है राजस्थानी भाषा की दो शाखाओं का यहाँ ज़्यादा प्रचलन है शेखावटी क्षेत्र में मारवाड़ी का व शेष क्षेत्र में ढ़ूंढ़ाडी का दोनों क्षेत्रों के निवासियों को एक दूसरे की भाषा समझने में कोई कठिनाई नहीं होती है यही बात हिन्दी भाषा वालों के लिए भी है यहाँ की राजभाषा सन् 1943 ई. से हिन्दी तथा उर्दू दोनों घोषित की गई है।

जयपुर के शिक्षण संस्थान 

महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय के शाशन काल में शहर में तीन महाविध्यालयो का निर्माण हुआ जिसमे 1865 में संस्कृत महाविद्यालय और 1867 में बालिका विद्यालय का निर्माण हुआ उस समय ने कई धनवान कम्युनिटी के लोगो जैसे जैन और मारवाड़ीयो ने यहा व्यापार करना प्रारम्भ कर दिया |

जयपुर की कला 

जयपुर के राजा कला प्रेमी थे युद्धों में लगे रहने के बावजूद बीच बीच में जब भी इन्हें मौका मिलता कला व साहित्य की ओर ये ध्यान देते थे अत: यहाँ शौर्य और कला का अपूर्व मिश्रण हुआ है यहाँ के राजाओं ने कलाकारों को अपने दरबार में आश्रय दिया इसमें कोई सन्देह नहीं कि यहाँ के नरेशों का मुग़लों से अत्यधिक सम्पर्क रहने से यहाँ की कला पर भी काफ़ी प्रभाव रहा लेकिन उसमें भी काफ़ी लौकिकता है।

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