शुद्धातम की बात बतादो वीरा, मैं तो दर्शन करने आऊँगा।
आतमध्यान लगाऊँगा मैं तो सम्यग्दर्शन पाऊँगा।।
भेदज्ञान की बात बता दो वीरा मैं तो सम्यग्दर्शन पाऊँगा।।टेक।।
वीतरागता सार जगत् में, मैंने तुमसे जाना है।
मैं सर्वज्ञ स्वरूपी हूं ये, हित उपदेश पिछाना है।।
श्रद्धा सम्यक् होवे होऽऽऽ…और मिट जावे भव की पीड़ा।।१।।
निर्ग्रंथों की सम्यक् भक्ति, मेरे हृदय समाई है।
जिनकी निर्मल अंतरंग, परिणति की महिमा आई है।।
निज में थिरता होवे होऽऽऽ… और मिट जावे भव की पीड़ा।।२।।
Sung by - Atmarthi Nistha Jain. (@Nishtha)