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खुलासा: आवासीय योजनाओं में यूआईटी ने कोटावासियों से लूटे 12.14 करोड़, ऑडिट में खुली अवैध वसूली की पोल

कमाई बढ़ाने के लिए यूआईटी ने सस्ते घर का सपना देखने वाले कोटावासियों से प्रशासनिक शुल्क के नाम पर 12.14 करोड़ की अवैध वसूली कर डाली।

कोटाApr 24, 2019 / 09:52 am

​Zuber Khan

UIT housing scheme

खुलासा: आवासीय योजनाओं में यूआईटी ने कोटावासियों से लूटे 12.14 करोड़, ऑडिट में खुली अवैध वसूली की पोल

कोटा. कमाई बढ़ाने के लिए नगर विकास न्यास ( kota UIT ) सस्ते घर का सपना देखने वाले कोटा के बासिंदों की जेब काटने से भी नहीं चूकी। आवासीय योजनाओं ( Housing Scheme ) के आवेदन में अफसरों ने मनमाने तरीके से पंजीकरण शुल्क के साथ 2000 रुपए का अवैध प्रशासनिक शुल्क थोप महज दो साल में 121456000 रुपए वसूल लिए। चौंकाने वाली बात यह रही कि इसके लिए UIT प्रबंधन ने सरकारी मंजूरी की बात तो छोडि़ए न्यास मंडल तक में प्रस्ताव पारित नहीं करवाया।
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स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग ने अंकेक्षण अवधि 2015-2017 के दौरान की यूआईटी की ऑडिट रिपोर्ट ( Audit report ) जारी कर दी है। रिपोर्ट में सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ है कि यूआईटी के अफसरों ने अवैध तरीके से न्यास का खजाना भरने के लिए इन दो सालों में आम आदमी की जमकर जेब काटी। ऑडिट अवधि के दौरान यूआईटी ने 13 आवासीय योजनाएं लांच की। जिसमें आवेदन करने के लिए पंजीकरण शुल्क के साथ आवदेकों से नॉन रिफंडेबल 2000 रुपए का प्रशासनिक शुल्क भी वसूला गया। प्रशासनिक शुल्क की वसूली किस प्रावधान की तहत की गई इससे जुड़ा कोई दस्तावेज ऑडिट टीम को यूआईटी में नहीं मिला और ना ही आला अधिकारी इस बाबत कोई जानकारी दे सके।
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नहीं दे सके जवाब
ऑडिट टीम ने इस अनियमित वसूली की वजह और आधार जानने के लिए यूआईटी को पहला पत्र (पत्रांक 655) 13 मार्च 2018 को लिखा। जवाब न मिलने पर 10 अप्रेल, 17 अप्रेल, 03 मई, 08 मर्ई और फिर 17 मई को फिर पत्र लिखे। लेकिन, यूआईटी प्रशासनिक शुल्क की वसूली शुरू करने के लिए चलाई गई पत्रावली, राज्य सरकार और न्यास मंडल के किसी निर्णय या प्रस्ताव उसकी स्वीकृति और अनुमोदन की बात तो छोडि़ए इससे जुड़ी कोई गाइड लाइन तक ऑडिट टीम को उपलब्ध नहीं करवा सका।

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ताक पर कानून
स्थानीय निधि एवं अंकेक्षण विभाग ने इसे गंभीर वित्तीय अनियमितता मानते हुए रिपोर्ट में तल्ख टिप्पणी की है कि डिस्पोजल ऑफ प्रॉपर्टी रूल्स 1974 की धारा 17 के तहत यूआईटी अपने विवेकाधिकार से समय समय पर रजिस्ट्रेशन फीस तो निर्धारित कर सकता है, लेकिन प्रशासनिक शुल्क के नाम पर नॉन रिफंडेबल राशि लेने का कोई प्रावधान नहीं है। यह नियम और निर्देशों के विरुद्ध है।

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बैकफुट पर आए अफसर
ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का खुलासा भी हुआ है कि ऑडिट के दौरान यूआईटी के अफसरों को जब कोई जवाब देते नहीं बना तो वह तुरंत बैकफुट पर आ गए। ऑडिट के दौरान ही लांच की गई सावित्री बाई फूले नगर आवासीय योजना की बुकलेट में असफल आवेदकों को प्रशासनिक शुल्क वापस करने का प्रावधान भी प्रकाशित करा दिया। ऑडिट टीम ने इसका उल्लेख करते हुए कहा कि यूआईटी के इस कदम से साबित होता है कि पूर्व में प्रशासनिक शुल्क की वसूली पूरी तरह से मनमानी और अवैध थी। इसलिए वर्ष 2015-17 में लांच हुई आवासीय योजनाओं के असफल आवेदकों से वसूली गई 12.14 करोड़ से ज्यादा की राशि को उन्हें वापस लौटाया जाए।


ऑडिट रिपोर्ट का अभी विश्लेषण करवा रहे हैं। इसके बाद जो भी तथ्य निकल कर आएंगे उनके आधार पर नियमानुसार निर्णय लेंगे।
भवानी सिंह पालावत, सचिव, नगर विकास न्यास कोटा

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