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रेवती राय: जरूरत और जुनून से सफलता की इबारत लिखने का नाम

नवभारत टाइम्स | 15 Jan 2019, 9:08 am
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'हे दीदी' की सीईओ रेवती रॉय को ड्राइविंग से प्यार है और इस प्यार को उन्होंने अपना करियर बना लिया, फिर महिलाओं को हुनर सिखाकर इसे रोजगार के एक अवसर में तब्दील किया।

Revathi Roy
रेवती राय।
सुधा श्रीमाली, मुंबई
मजबूरियों के सामने घुटने नहीं टेक कर जरूरत के मुताबिक जुनून पैदा कर लें तो सफलता की नई इबारत लिखी जा सकती है। मजबूरियों और मुश्किलों का रोना रोने की बजाय नई राह बनाने का जुनून ही आज रेवती रॉय को एक सफल आंट्रप्रन्योर में तब्दील कर चुका है। पति के देहांत के बाद जब रेवती को कहीं नौकरी नहीं मिली, तो उन्होंने खुद का कारोबार खड़ा करने की ठान ली। उन्होंने बेहद छोटे स्तर पर बिजनस की शुरुआत की और आज वह स्टार्टअप की दुनिया के प्रेरणास्रोत हैं। आइए मिलते हैं रेवती रॉय से...

नाम: रेवती रॉय
फाउंडर: 'हे दीदी'
इंडस्ट्री: लॉजिस्टक
स्टार्टअप: हायपर लोकल डिलीवरी (लास्ट माइल डिलीवरी)
शुरुआती पूंजी: 20 से 25 लाख रुपये
वैंचर कैपिटल: 4 करोड़ की विदेशी फंडिंग

पैशन ने बनाया उद्यमी
'हे दीदी' की सीईओ रेवती रॉय को ड्राइविंग से प्यार है और इस प्यार को उन्होंने अपना करियर बना लिया, फिर महिलाओं को हुनर सिखाकर इसे रोजगार के एक अवसर में तब्दील किया। 'हे दीदी' रेवती रॉय की तीसरी व्यावसायिक कोशिश है। वे आज 'हे दीदी' नाम के एक हायपर लोकल डिलीवरी स्टार्टअप की सीईओ हैं, जिसमें मालिक से लेकर कर्मचारी तक सभी महिलाएं हैं।

रोटी की तलाश में शुरू की ड्राइविंग

2007 में पति की मृत्यु के वक्त मेरी उम्र 47 वर्ष थी, लेकिन मेरे तीन बच्चे छोटे ही थे। मैंने अपनी शिक्षा के हिसाब से कई कॉर्पोरेट हाउस के चक्कर काटे, लेकिन कोई भी रखने के लिए तैयार नहीं हुआ। शिक्षा के होने के वावजूद सभी का जवाब होता-'इस उम्र में तुम कैसे पहली बार नौकरी करोगी।' मुझे ड्राइविंग अच्छी आती थी और मैंने एक टैक्सी ली और एयरपोर्ट पर जीवीके के पास जाकर बोली कि मुझे एक स्लॉट दें। उन्होंने बिना रेंट के मुझे दिया और मैंने अपनी यात्रा शुरू की। तीन और महिलाओं को जोड़ा और इस तरह मेरे पास 'फॉर शी' नाम से 60 गाड़ियां हो गई जिसे सिर्फ महिलाएं ही चलाती थीं। मुझे इन्वेस्टर भी मिल गए। बाद में कंपनी को मैंने IL&FS को बेच दिया। इसके बाद एक और काम किया, लेकिन बाद में 2016 में मैंने हे दीदी की नींव रखी।

ई-कॉमर्स के बूम को पहचाना
मुझे लगा कि आने वाले समय में ई-कॉमर्स में जबदस्त बूम आएगा, तब डिलिवरी के लिए लोगों की जरूरत होगी। उस समय अगर मेरे पास स्किल्ड वर्कफोर्स होगी तो हमारी डिमांड पीक पर होगी। मुझे डिलिवरी के नाम पर सिर्फ बॉय की इमेज को ब्रैक करना था और वह मैंने किया। महिलाओं का इंगेजमेंट काफी लंबा होता है और हम उन्हें ड्राइविंग भी सिखाते हैं।

योजनाएं: अभी मुंबई, पुणे, नागपुर और बेंगलुरु में हमारे कॉर्गो वीइकल एवं दोपहिया वाहन हैं और 6 अन्य शहरों में सेवाएं जल्द लॉन्च करेंगे। बी2बी में हैं, लेकिन फूड सर्विस में भी आने को लेकर ओपन हैं

बिजनस में कामयाबी के लिए: बिजनस मॉडल, टीम और मैनेजमेंट अहम है। मन में अपने काम के प्रति पैशन का होना बहुत जरूरी है

महिलाओं के लिए: मेंटल ब्लॉक निकालें, कि मैं यह नहीं कर सकती। सपने देखें, क्योंकि सपने देखने में हर्ज नहीं और वे सच भी होते हैं।

कड़वा सच: ऐसी कोई समय-सीमा नहीं बताई जा सकती कि इतने समय के बाद तो कामयाबी हासिल हो ही जाएगी। आपके लगे रहना होता है। अच्छा आइडिया, अच्छे प्रॉजेक्ट, ईमानदारी और निष्ठा, इन सबका फायदा होता है। अगर आप धन कमाने की लालसा से स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं तो मत कीजिए, क्योंकि यह एक जुनूनी काम है।

अगर करना है बिजनस तो....
अपका बिजनस प्लान फुल-प्रुफ हो जिसमें खर्चे, प्रॉडक्ट, सर्विस और आने वाले तीन सालों में आपकी क्या योजना होगी, यह साफ होना चाहिए। अगर उसमें दम होगा तो आपको वैंचर कैपिटल या प्राइवेट इक्विटी भी मिल जाएगी।
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