कोटा में बाघिन ने महिला पर किया जानलेवा हमला, दहशत में ग्रामीण, रेंजर बोला-जान प्यारी है तो खाली कर दो गांव
केबिनेट की बैठक में दोबारा यह तय होगा कि चुनाव सीधे होंगे या फिर पार्षदों के माध्यम से कराए जाएंगे। इस सियासी हलचल के बाद दोनों दलों से महापौर, सभापति और नगर पालिका अध्यक्ष का ख्वाब देखने वालों के सामने यह स्थित स्पष्ट नहीं रही कि उन्हें सीधे निकाय प्रमुख के पद के लिए चुनाव लडऩा होगा या फिर पहले पार्षद चुने जाने के लिए समर में उतरना होगा। स्थित स्पष्ट नहीं होने से दावेदारों के साथ चुनाव की रणनीति बनाने वाले नेता भी उहापोह में हैं।भैंसों को खाळ पार करवाने में पिता की मदद कर रहा बेटा पानी में डूबा, लाश मिली तो फफक पड़े बुजुर्ग मां-बाप
पार्टी पदाधिकारियों से कार्यकर्ता पूछ रहे हैं कि चुनाव की क्या प्रक्रिया रहेगी, लेकिन इस पर निर्णय नहीं होने के कारण कोई जवाब नहीं दे पा रहे। कई ऐसे दावेदार हैं जिन्हें पार्षद के चुनाव में रुचि नहीं है, वे सीधे महापौर का चुनाव लडऩा चाहते हैं, लेकिन अब नजरें केबिनेट की बैठक पर टिकी हैं। उधर कई नेता अब अपने लिए सुरक्षित वार्ड की तलाश में भी जुट गए हैं। उन्हें लग रहा है कि सरकार के फैसले कुछ भी हों, वे अपनी व्यवस्था बना कर रखें।