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शिक्षा नगरी को दिल्ली बनने से रोके,एनजीटी ने जारी किए दस करोड़,कोटा में ख़तरनाक स्तर पर है प्रदूषण

30.20 करोड़ से साफ होगी कोटा सहित पांच शहरों की आबोहवा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी किया फंड

कोटाNov 06, 2019 / 01:38 pm

Suraksha Rajora

शिक्षा नगरी कोटा को दिल्ली बनने से रोके,एनजीटी ने जारी किए दस करोड़,कोटा में ख़तरनाक स्तर पर है प्रदूषण

शिक्षा नगरी कोटा को दिल्ली बनने से रोके,एनजीटी ने जारी किए दस करोड़,कोटा में ख़तरनाक स्तर पर है प्रदूषण

30.20 करोड़ से साफ होगी कोटा सहित पांच शहरों की आबोहवाकेंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी किया फंड

कोटा. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) की फटकार के बाद प्रदेश के सबसे ज्यादा प्रदूषित पांच शहरों (नॉन अटेनमेंट सिटीज) में वायु की गुणवत्ता सुधारने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 30.20 करोड़ रुपए का फंड जारी किया है। इससे एनजीटी की ओर से जारी किए गए एक्शन प्लान को पांचों शहरों में युद्ध स्तर पर क्रियान्वित कराना होगा। शिक्षा नगरी कोटा के हिस्से में 10 करोड़ रुपए आए हैं।
देशभर में तेजी से बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सीपीसीबी ने 2009 में एयर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल एक्ट 1981 लागू कर नेशनल एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग प्रोग्राम (एनएएमपी) की शुरुआत की थी। सुप्रीम कोर्ट से लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हरित न्यायाधिकरणों ने एक दशक तक प्रदेश के कोटा, जयपुर, जोधपुर, उदयपुर और अलवर समेत देश के 102 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर सुधारने की तमाम कोशिशें की, लेकिन बुरी तरह नाकाम रहीं।
एनजीटी ने बनाई पुख्ता रणनीति
एनएएमपी के तहत 2018 में जब वायु प्रदूषण जानने के लिए सर्वे हुए तो पता चला कि चिह्नित शहरों में प्रदूषण का स्तर कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। लोग मर रहे हैं। हालात बिगड़ते देख एनजीटी ने 5 सितंबर 2018 को अपने न्यायिक और गैरन्यायिक सदस्यों, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय, पेट्रोलियम, वन एवं पर्यावरण, कृषि और भारी उद्योग मंत्रालय, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकारों के मंत्री और अधिकारियों के साथ-साथ नीरी एवं आईआईटी दिल्ली एवं कानपुर के विषय विशेषज्ञों की समीक्षा बैठक बुलाई। इसमें तय किया कि सख्त कदम उठाए बिना वायु प्रदूषण की रोकथाम संभव नहीं।
जारी करनी पड़ी कार्ययोजना
इसके बाद एनजीटी ने केंद्र और राज्य सरकारों से सभी शहरों के लिए एक्शन प्लान मांगा, इसमें से सिर्फ 73 शहरों के ही प्लान मिल सके। एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच ने 8 अक्टूबर 2018 को कंबाइंड एक्शन प्लान जारी कर इसकी सख्ती से पालना के आदेश दिए। विधानसभा और लोकसभा चुनावों के चलते राजस्थान सरकार इसे तत्काल लागू नहीं कर सकी।
अब शुरू हुई सख्ती


छह महीने तक मामले में कोई कार्रवाई होती न देख एनजीटी ने जून में संबंधित प्रदेशों के मुख्य सचिव को हर महीने समीक्षा बैठक कर आदेशों की पालना रिपोर्ट भेजने को पाबंद किया। इसके बाद मुख्य सचिव ने समीक्षा बैठक कर परिवहन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीएलबी, उद्योग और पुलिस विभाग को एक्शन प्लान की पालना के निर्देश दिए।
अब कार्रवाई करने में बजट रोड़ा बनता दिखा तो एनजीटी ने सीपीसीबी को इसका इंतजाम करने के निर्देश दिए। जब सीपीसीबी ने तीन महीने तक इसे अनदेखा किया तो एनजीटी ने अक्टूबर में उसे भी इस मुद्दे पर जमकर फटकारा।

…फिर खोला खजाना
सीपीसीबी ने प्रदूषण की सबसे ज्यादा मार झेल रहे कोटा, जयपुर और जोधपुर को 10-10 करोड़ और बीकानेर एवं अलवर को 10-10 लाख रुपए आवंटित कर दिए। एक्शन प्लान के क्रियान्वयन के लिए आरएसपीसीबी को नोडल विभाग बनाया गया है।
आरएसपीसीबी की सदस्य सचिव शैलजा देवल ने बताया कि आवंटित किए 30.20 करोड़ के बजट में से जयपुर, जोधपुर और कोटा के लिए 6-6 करोड़ और बीकानेर एवं अलवर के लिए 6-6 लाख रुपए की पहली किस्त जारी कर दी गई है। मार्च 2020 तक इन शहरों को यह बजट इस्तेमाल करना होगा। इसके बाद ही उन्हें दूसरी किस्त मिलेगी।
कोटा को मिले 10 करोड़ से यह होना है काम ौलजा देवल ने बताया कि इस बजट से प्रदूषण की जांच के लिए स्थापित प्रयोगशालाओं को आधुनिक बनाया जाएगा। कोटा में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 की जांच सिर्फ श्रीनाथपुरम स्थित पॉल्यूशन मॉनीटरिंग स्टेशन पर ही हो सकती है, लेकिन बजट मिलने के बाद बाकी के छह मैनुअल पॉल्युशन मॉनीटरिंग स्टेशन भी अपग्रेड हो जाएंगे। मोबाइल पॉल्यूशन मॉनीटरिंग लैब भी खरीदे जाने की योजना है।
यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए परिवहन विभाग, खराब सड़कों की मेंटनेंस के लिए पीडब्ल्यूडी, अत्यधिक प्रदूषित इलाकों में पौधारोपण के लिए वन विभाग और चौराहों पर पानी के फव्वारे लगाने और पौधारोपण के लिए नगरीय विकास विभाग आदि को सीपीसीबी के एक्शन प्लान के मुताबिक बजट जारी किया जाएगा।

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