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रायपुर

ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल से 70% तक कम होगा प्रदूषण, जानिए नॉर्मल पटाखों से ये कैसे हैं अलग

राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण के खतरे को भांपते हुए दीवाली की रात सिर्फ 2 घंटे ही पटाखे फोड़ने की अनुमति दी है। वह भी ग्रीन पटाखे पर।

रायपुरNov 11, 2020 / 10:33 am

Bhawna Chaudhary

ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल से 70% तक कम होगा प्रदूषण, जानिए नॉर्मल पटाखों से ये कैसे हैं अलग

ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल से 70% तक कम होगा प्रदूषण, जानिए नॉर्मल पटाखों से ये कैसे हैं अलग

रायपुर. राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण के खतरे को भांपते हुए दीवाली की रात सिर्फ 2 घंटे ही पटाखे फोड़ने की अनुमति दी है। वह भी ग्रीन पटाखे पर। ऐसे में आपके लिए जानना बेहद जरूरी है कि आखिर कैसे ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल से हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। जी हां, ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, मगर इनसे प्रदूषण कम होता है। क्योंकि इन्हें बनाने में हानिकारक लीथियम, आर्सेनिक, लेड और मर्करी का इस्तेमाल नहीं होता है। सामान्य पटाखों की तुलना में कम से कम 30 प्रतिशत कम हानिकारक गैस निकलती है।

इन पटाखों की खास बात यह है कि इनके जलने से नाइट्रोजन और सल्फर गैस कम उत्सर्जित होती है। जो सामान्य पटाखों में काफी अधिक होती है। प्रदेश के बाजार में साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ग्रीन पटाखे बड़ी मात्रा में आने लगे। हालांकि 2018 और 2019 में सामान्य पटाखों की बिक्री अधिक रही। मगर, इस बार सख्ती काफी अधिक है। राज्य सरकार के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को स्पष्ट निर्देश हैं कि वे सामान्य पटाखों की बिक्री और उनका फोड़ना रोकें।

2 घंटे तक ग्रीन पटाखा जलाने की छूट, पर प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों से भरे शहर के दुकान -गोदाम:

पहचान- प्रत्येक ग्रीन पटाखे में ग्रीन लोगो लगा होता है, जो क्यूआर कोडिंग बेस्ड होता है। जिसके जरिए इसके पैकेट को पहचाना जा सकता है।

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