और भतीजा एक-दूसरे को देंगे टक्कर नए कानून की जरूरत ही नहीं
सिन्हा ने कहा कि दूसरे देशों के नागरिकों को भारत की नागरिकता देने के लिए देश में पहले से ही कानून मौजूद हैं। इन कानूनों के आधार पर 1964 से 2008 तक चार हजार से अधिक लोगों के नागरिकता दी जा चुकी है। पिछली सरकारों ने भी कई बार संशोधन किए, लेकिन धर्म के आधार पर किसी को नागरिकता देने जैसा विवादित फैसला नहीं किया। यही वजह रही कि उन संशोधनों का कभी विरोध नहीं हुआ। इस बार धार्मिक प्रताडऩा के आधार पर किसी को नागरिकता दिए जाने का प्रावधान जोड़कर केंद्र सरकार ने असंवैधानिक काम तो किया ही है, साथ ही लोगों को बांटने की भी कोशिश की है।
डाली हत्या.. कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा नहीं दिखाएंगे दस्तावेज
सिन्हा ने कहा कि सरकार ने लोगों की पहचान के आधार कार्ड से लेकर पैन कार्ड, राशन कार्ड तक असंख्य पहचान पत्र लागू कर रखे हैं। जनगणना से लेकर मतदाता पहचान पत्र तक के लिए लोगों की जानकारियां एकत्र की जाती हैं। ऐसे में फिर से नई पहचान और नया आंकड़ा तैयार करने के लिए सरकार जनता का पैसा तो बर्बाद कर ही रही है। इससे जनता में भी भ्रांतियां पैदा हो रही हैं। सरकार की नीयत पर भी शक हो रहा है, इसीलिए वह पहचान के नए दस्तावेज के लिए अपना कोई भी पुराना दस्तावेज नहीं दिखाकर उसका विरोध करेंगे। देश के लोगों को भी इसीलिए जागरुक बनाया जा रहा है।