यह कहानी है निरंजन नाथ आचार्य Niranjan Nath Acharya की। आज उनकी पुण्यतिथि है। मावली Mavli से विधायक चुनकर जयपुर पहुुंचे आचार्य विधानसभा में 03-05-1967 से 20-03-1972 तक स्पीकर रहे थे। निरंजननाथ आचार्य के बेटे विश्वबंधु आचार्य ने पत्रिका को उस समय के संस्मरण बताते हुए कहा कि पिताजी ने जब त्याग पत्र दिया तब मिसेज गांधी ने बहुत समझाया और राज्यपाल बनाने तक के लिए कहा लेकिन पिताजी नहीं माने।
इधर मावली की जनता ने आकर कहा कि आप तो निर्दलीय चुनाव लड़े, फिर क्या पिताजी ने निर्दलीय पर्चा भरा। विश्वबंधु कहते है कि उस समय दो महीने तक पिताजी विधानसभा क्षेत्र मावली में नहीं गए और घर ही बैठे रहे लेकिन जनता का इस कदर प्यार था कि जैसे वे उनके बीच ही मावली में थे ऐसा लगता था।
सामने जो प्रत्याशी थे उनको मात्र 1300 वोट मिले
विश्वबंधु बताते है कि उस समय मावली से पिताजी Niranjan Nath Acharya ने निर्दलीय लड़े और सामने सुंदरलाल चेचाणी थे। पिताजी को 51000 वोट मिले और चेचाणी को मात्र 1300 वोट मिले। निरंजननाथ आचार्य के पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत से खास दोस्ती थी।
सामने जो प्रत्याशी थे उनको मात्र 1300 वोट मिले
विश्वबंधु बताते है कि उस समय मावली से पिताजी Niranjan Nath Acharya ने निर्दलीय लड़े और सामने सुंदरलाल चेचाणी थे। पिताजी को 51000 वोट मिले और चेचाणी को मात्र 1300 वोट मिले। निरंजननाथ आचार्य के पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत से खास दोस्ती थी।
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