नाहन : प्रदेश की जयराम सरकार दो साल के जश्न में मदहोश है। लाखों रुपए खर्च कर लोक लुभावने विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं। शहीदों व सैनिकों को लेकर राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश की जाती है। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि शिलाई उपमंडल के शखोली गांव का 22 वर्षीय फौजी भरत सिंह पुत्र तीन महीने से लापता है। 17 सितंबर 2019 को भरत के पिता को मोबाइल पर अरूणांचल प्रदेश के बोरोपक आर्मी कैंप से कॉल आई कि भरत कमांडो ट्रेनिंग के दौरान पुल के ऊपर से नदी में गिरकर बह गया है। परिवार हल पल भरत की सलामती की दुआ मांग रहा है, मगर सरकार अब तक खामोश है।
मंगलवार को दूसरी मर्तबा गांव के युवाओं का प्रतिनिधिमंडल डीसी डॉ. आरके परुथी से नम आंखों को लेकर भरत की तलाश की गुहार लगाने पहुंचा था। भाई बलबीर सिंह के अलावा नरेश शर्मा व रमेश शर्मा का कहना था कि अब तक कुछ नहीं पता चला है। निष्पक्ष कार्रवाई की जांच की मांग उठाई गई है। हैरान कर देने वाला यह भी खुलासा किया कि तीन महीने से उन्हें कोई भी जानकारी या सूचना नहीं दी जा रही है। बेहतर होता अगर सरकार दो साल के जश्न का कुछ खर्चा बचाकर भरत की तलाश का बजट बनाती।
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सोचिए, उस परिवार पर क्या गुजर रही होगी, जिसने अपने एक 22 साल के बेटे को मां भारती की रक्षा करने के लिए देशके सुपुर्द किया था, मगर मौजूदा व्यवस्था में परिवार को यह तक नहीं पता कि भरत के साथ क्या बीता है। जानकारों का यह कहना है कि राज्य सरकार को तुरंत ही इस मामले को केंद्र से उठाना चाहिए था।
हैरान कर देने वाली बात यह भी है कि अब तीन महीने बीत जाने के बाद परिवार का ढांढस बंधाने के लिए सरकार को कोई भी नुमाइंदा घर नहीं पहुंचा। परिवार के मुताबिक शुरू में जब मामला मीडिया में आया था तो क्षेत्र के पूर्व विधायक बलदेव तोमर अपने प्रवास के दौरान कुछ देर के लिए बैठने आए थे। लेकिन जो आश्वासन देकर गए थे, उस पर कुछ नहीं हुआ। बहरहाल अगर इस मामले में सरकार का पक्ष मिलता है तो प्रकाशित किया जाएगा।