सूत्रों का कहना है कि कमल टॉवर स्थित मणप्पुरम फाइनेंस कम्पनी के रीजनल मैनेजर टी शिवनारायण रेड्डी ने इस संबंध में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है। गोल्ड लोन दिलाने के बहाने कुछ बाहरी शातिरों के भी मोटा फायदा कमाने की बात सामने आई है। जेवरात का नकली वजन बढ़ाकर ग्राहकों को दी जाने वाली राशि में से फायदा कम्पनी के आरोपित कर्मचारी/अधिकारी तो उठाते ही थे, तीन-चार बाहरी दलाल भी इसमें लिप्त थे। इस संबंध में पुलिस के पास दर्ज एफआईआर में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन पंद्रह किलो सोने पर दिए गए लोन में भारी गड़बड़ी की पड़ताल में नित-नई बातें सामने आ रही हैं। कम्पनी से ही जुड़े करीब दस जनों पर तो सीधा-सीधा आरोप ही लगा है कि नग, धागा, मोती समेत अन्य को उतारे बिना ही जेवरात का वजन ज्यादा बताकर कम्पनी को चपत लगाई गई।
उदाहरण के तौर पर किसी गोल्ड ज्वैलरी पर बिना मोती/धागा उतारकर उसका वजन बीस ग्राम यानी दो तोले बढ़ाकर लोन दिया तो ग्राहक को जो लोन मिला उसमें नकली सोना भी शामिल था। यानी पांच तोले सोने के जेवर में यदि दो तोले की मिलावट यानी धागा/मोती/नग को तोला गया तो इस पर भी ग्राहक को तो सोने के भाव में लोन मिल ही गया। इसका फायदा ग्राहकों के साथ कम्पनी को चपत लगाने वाले कारिंदों ने भी उठाया। बीच में दो-तीन दलाल भी इस धंधे में अपना फायदा उठाते रहे। इस संबंध में बुधवार को कंपनी के अधिकारी सहित कई कर्मचारियों के खिलाफ कोतवाली थाने में मामला दर्ज हो चुका है। कम्पनी के रीजनल मैनेजर टी शिवनारायण रेड्डी ने मामला दर्ज कराया था।
पता चला तब जागे बताया जाता है कि कई सालों से यह कारगुजारी चल रही थी। पकड़ में इसलिए नहीं आई, क्योंकि पूरा स्टाफ ही इस खेल में शामिल था। बताया जाता है कि शुरुआती दौर में किसी की शिकायत पर मुख्यालय के अफसर जागे। ऑडिट कराई तो पहले यह ही गड़बड़ निकली, क्योंकि ऑडिट करने वाले खुद ही घपले में शामिल थे। तीसरी बार कराई ऑडिट में सारी हकीकत सामने आई।
ये हैं नामजद कमल टॉवर में चल रही इस कम्पनी के प्रबंधक रहे सुख सिंह, अन्य अधिकारी मनोज चौधरी, इसाराम, ऋषभ चौधरी, कुलदीप सिंह, भंवरसिंह, महेन्द्र काला और गुड्डी के साथ दो ऑडिटर भी इसमें नामजद हैं। इसके अलावा पांच दर्जन से अधिक ग्राहकों का भी शुरुआती तौर पर गड़बड़ी में शरीक होना पाया है।