निम्स यूनिवर्सिटी के पीछे रामगढ बांध के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण कर बनाई गई इमारतों को तोडऩे की कार्रवाई के लिए जेडीए दस्ता सुबह करीब नौ बजे पहुंचा और इमारतों को पोकलेन, लोकण्डा व जेसीबी मशीनों की सहायता से तोडऩा शुरू किया। जेडीए के एक्सपर्ट्स ने यहां शास्त्री ब्लॉक की ईमारत (करीब 132 कमरे) के बीच में स्थित पिलर को तोडऩा शुरू किया। बाद में इमारत के एक के बाद एक साइड़ों से पिलर तोडऩे की प्रक्रिया शुरू की जिससे करीब दो बजे पूरा ब्लॉक भरभराकर जमींदोज हो गया। पूरे भवन के एक साथ गिर जाने से जेडीए को कामयाबी मिली।
जेडीए डिप्टी सीमा भारती ने बताया कि भवन के एक साथ गिरने से करीब एक दिन की कार्रवाई की बचत हुई। अन्य भवनों को भी इंजीनियर्स की सहायता से इसी प्रकार गिराया जाएगा। इधर तिलक ब्लॉक में देर शाम तक कार्रवाई जारी रही और अस्सी फीसदी हिस्सा गिरा दिया गया।
अब विस्फोट की नहीं जरूरत
जेडीए की ओर से भवनों को गिराने की कार्रवाई मशीनरी से की जा रही है। अधिकांश कार्य संपूर्ण हो गया तथा पिलरों को भी ध्वस्त किया जा चुका है। ऐसे में विस्फोट करके भवन गिराने की प्रक्रिया लगभग टल गई है। हालांकि स्टॉफ क्वार्टर्स को हल्के विस्फोट से दो टुकडों में विभाजित कर जेसीबी की सहायता से तोड़ा जाएगा। जेडीए के जोन 13 डीसी बीसी गंगवाल ने बताया कि इसी प्रकार कार्रवाई चलती रही तो अगले दो दिन में कार्रवाई पूर्ण होने की संभावना है।
मलबा हटाना रहेगा चुनौती
जेडीए की कार्रवाई के बाद इमारतों का मलबा मौके पर ही पड़ा है। मलबे को हटाने की कार्रवाई रविवार को नहीं हो सकी। रविवार को मात्र भवन गिराने की कार्रवाई हुई, ऐसे में मलबे को उठाना और अन्यत्र स्थानांतिरित करना चुनौती रहेगा। गौरतलब है कि मलबे को उठाकर अचरोल स्थित साइंसटेक सिटी की जमीन में डाला जा रहा है।
लगा जैसे भूकंप आ गया
निम्स में जेडीए की कार्रवाई के दौरान शास्त्री ब्लॉक की इमारते एक साथ गिर गई। इमारते गिरने से तेज धमाका हुआ और जमीन में कंपन हुआ जिससे निकटवर्ती छात्रावास व क्वार्टर्स में रहने वालों को भूकंप का अहसास हुआ। अचानक छात्र व स्टाफकर्मी भागकर कमरों से बाहर आ गए। भवन गिरने से कुछ देर तक धुआं ही धुंआ नजर आया।